स्तूप क्या होता है?
“स्तूप” बौद्धकला से सम्बंधित शब्द है जिसको बौद्ध धर्म में काफी मान्यताये मिली है। यह एक समाधीनुमा भवन होता है जिसका प्रयोग भगवान बुद्ध के स्मृति अवशेष को सुरक्क्षित रखने के लिए बनाया गया था।
बाद में इसमें बौद्ध धर्म से सम्बंधित व्यक्तियों और वस्तुवों को भी शामिल किया गया। किन्तु Stupa निर्माण में यह बात जानने योग्य है की स्तूप निर्माण का प्रचलन बौद्ध काल के पहले से था। Stupa का शाब्दिक अर्थ होता है- “ढेर या ढूहा” . स्तूप का निर्माण प्रेरणा और पूजा के उद्देश्य से किया गया था,
ताकि लोग बौद्ध धर्म से प्रेरित हो सकें और भगवान बुद्ध के पद चिन्हो पर चल सकें। इस काल के कलात्मक उपलब्धियों में साँची का Stupa महत्वपूर्ण रहा है, जो अपने शानदार वास्तुकला के रूप में मौर्या काल के गौरवपूर्ण इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है।
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स्तूप की संरचना :-
Stupa एक अर्धगोलाकार संरचना है जो चबूतरे के ऊपर एक उलटे कटोरे के रूप में दिखाई देता है। इस अर्धबृत के आकार को अण्ड कहा जाता है। इसके शीर्ष पर हर्मिका नामक संरचना होती है ,जहाँ पर बुद्ध या उनके किसी शिष्य के अवशेष रखे जाते है।
यह Stupa का सबसे पबित्र भाग होता है इसे देवता का निवास स्थान माना जाता है।इस हर्मिका के मध्य में एक यष्टि लगी होती है,जिसके शीर्ष पर तीन छत्र होते है जो श्रद्धा,सम्मान और उदारता के प्रतिक हैं। चबूतरे के चारो तरफ घूमने के लिए प्रदक्षिणा पथ बना होता है।
यह पूरी संरचना एक वेदिका से घिरी होती है,जहाँ तोरण द्वार या प्रवेश द्वार बनाया जाता है। हर स्तूप में एक छोटा सा कक्ष होता है जिसमे बौद्धों,बौद्ध भिक्षुओं के पार्थिव शरीर रखे जाते है। बाहरी धरातल पर प्रस्तर की एक तह चढ़ी होती है।
पहले ये Stupa प्रायः ईट और पत्थर के बने होते थे लेकिन आगे चलकर स्तूपों में अलंकरण का प्रयोग होने लगा और इन स्तूपों पर चित्रों के माध्यम से कथानक का अंकन किया जाने लगा।
स्तूप के प्रकार :-
1. शारीरिक :- इनमे बुद्ध तथा उनके प्रमुख शिष्यों की अस्थियां तथा उनके शरीर के विविध अंग (दन्त,नख ,केश)आदि रखे जाते थे। ……Join Telegram
2. परिभौगिक :- इनमे बुद्ध द्वारा प्रयोग में लायी गयीं वस्तुएं जैसे -भिक्षा पात्र,चरण पादुकाएं और आसन आदि रखे जाते थे।
3. उद्देश्यिका :- इनमे वे Stupa आते थे,जिनमे महात्मा बुद्ध के जीवन की घटनाओं से सम्बंधित अथवा उनकी यात्रा से पवित्र हुए स्थानों पर स्मृति के रूप में निर्मित किया जाता था। ऐसे स्थान बोधगया,लुम्बिनी,सारनाथ और कुशीनगर आदि है।
4. संकल्पित या पूजार्थक :- बिशुद्ध रूप से पूजा के निमित बनाये गए Stupa होते है। ये आकार में छोटे होते है और इन्हे बौद्ध तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं द्वारा स्थापित किया जाता था।
बौद्ध धर्म में इस Stupa निर्माण को पुण्य का काम बताया जाता है। रउम्मीदेई और सारनाथ Stupa इसके उदाहरण है।
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